Followers

Friday, September 16, 2011

"रूप इतना खूबसूरत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

रूप इतना खूबसूरत
आइने की क्या जरूरत

आ रहीं नज़दीक घड़ियाँ
जब बनेगा शुभमुहूरत

बैठकर जब बात होंगी
दूर होंगी सब कुदूरत


लाख पर्दों में छुपाओ
छिप नहीं पायेगी सूरत

दिल में हमने है समायी
आपकी सुन्दर सी सूरत

आज मेरे चाँद का है
"रूप" कितना खूबसूरत

No comments:

Post a Comment

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।